Tuesday, February 23, 2016

एक न कर्ता, दो न कर्ता, नौ ठहराय भाई |दसवाँ भी दुढ़न में मिलजे, सत् कबीर दुहाई ||

सत साहेब,
एक न कर्ता, दो न कर्ता, नौ ठहराय भाई |
दसवाँ भी दुढ़न में मिलजे, सत् कबीर दुहाई ||
" कृष्ण,राम,परशुराम,गौतम बुद्ध, मुह्हमद, ईसा ,मूसा "
कबीर साहेब अपने तत्व ज्ञान में बताते है तुमने अज्ञानता से एक नही, दो नही ,दस भगवन बना लिए है अपने अपने अनुसार,पर सत्य तो यही है की परमात्मा एक ही है जो पूर्ण ब्रह्म परम अक्षर पुरुष है जो सबका रचनहार है....
इस काल, क्षर पुरुष(ब्रह्म ) ने पूरी दुनिया को भर्मित करने के लिए भेजे गए अपने ईश्दूत को केवल नौ तक सिमित नही रखा है यह समय समय पर....
" कृष्ण,राम,परशुराम,गौतम बुद्ध, मुह्हमद, ईसा ,मूसा "
जैसे अपने अवतार अंश को धरती पर भेजता रहता है ताकि असली परमात्मा पूर्ण ब्रह्म तक ये पूण्य आत्माए न पहुच पाये और इन काल के दूतो द्वारा बताये गए रास्ते पर ही चल कर लाख 84 में मरते जीते रहे, इसलिए हमे धर्मो में बाँट दिया ....
इस पर परमात्मा कहते है
"इती दगा काल की समाई | फिर भी तत्व बिंदु टेक रह जाई" ||
अपने इन्ही काल के दूतो की श्रंख्ला को आगे बढ़ाते हुए काल ने ईशा जी को चुना और लोगो का मशीहा बना के भेजा ईशा जी से खूब चमत्कार करवाये जिससे की लोग उस पर आशक्त हो और उसे परमात्मा का बेटा माने .......
क्या आप जानते है की ईशा जी के अंतिम शब्द क्या थे
Mark / Matthew
"E′li, E′li, la′ma sa‧bach‧tha′ni?"
"My God, My God, why have you forsaken me?"
" मेरे प्रभु , मेरे प्रभु अपने मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया"?
http://en.wikipedia.org/wiki/Crucifixion_of_Jesus…
यानि अंतिम समय भी ईशा जी ने किसी अन्य भगवान् से कहा कि मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया और सारा ईसाई समाज आज ईशा जी की पूजा में लगा हुआ न की उस असली परमात्मा की
आखिर जब ईशा जी को फाँसी तोड़ दी गयी .....
कबीर परमेश्वर ने विश्व को आस्तिक बनाये रखने ले लिए तीन दिन बाद कई कई जगह दर्शन दिये ईशा जी के रूप में जिससे लोगो की आस्था बनी रहे बाकी असली भगवान का पता तो कलयुग की बिचली पीढ़ी में सबको करा ही दूँग|
अगर परमात्मा उस समय कई स्थानों पर प्रगट हो कर दर्शन न देते हो आज आधा विश्व् नास्तिक हो चूका होता जैसा की नास्तिकता का प्रारम्भ अब पश्चिमी देशो में हो चूका है ..
स्वत् छत्र सिर मुकुट विराजे देखत न उस चेहरे नु |
मुर्दो से तो प्रीत लगावे न जाने सतगुरु महरे नु ||
चल हंसा सतलोक हमारे, छोडो यह संसारा हो।
इस संसार का काल है राजा, कर्म को जाल पसारा हो।
चौदह खण्ड बसै जाके मुख, सबका करत अहारा हो।।
जारि बारि कोयला कर डारत, फिर फिर दे औतारा हो।।
ब्रह्मा बिस्नु सिव तन धरि आये, और को कौन बिचारा हो !
सुर नर मुनि सब छल बल मारिन, चौरासी में डारा हो।।
मद्ध अकास आप जहं बैठे, जोति सबद उजियारा हो।
वही पार इक नगर बसतु है, बरसत अमृत धारा हो।
कहे कबीर सुनो धर्मदासा, लखो पुरुष दरबारा हो।..
Jai ho bandichhod sadguru Rampal ji maharaj ki....
www.jagatgururampalji.org

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