Wednesday, December 7, 2016

कृपया विरोधी आलोचक पोस्ट को ध्यान से पढ़े और यथार्थ सत्य को जाने...

शंका समाधान...

प्रश्न:- सन्त रामपाल जी महाराज देवी देवताओं की निन्दा करते है ?

उत्तर:- सन्त रामपाल जी महाराज 'आदि सनातन धर्म' के उपासक है तथा आदि सनातन धर्म की दीक्षा देते है। सन्त रामपाल जी महाराज देवी देवताओं को पूर्ण आदर देने व पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर की पूजा करने की बात करते है और यह पूर्ण मोक्ष के लिये जरूरी है।

"गरीब, तीनो देवा दिल में बसे, ब्रह्मा विष्णु महेश
प्रथम इनकी वंदना फिर सुन सतगुरु उपदेश"


संत रामपाल जी महाराज किसी भी देवी देवताओं की निन्दा नहीं करते है अपितु आदर से इनका नाम लेते है और इनकी यथार्थ स्थिति बताते है। यथार्थ बात बताना निन्दा नहीं होती।

सन्त रामपाल जी महाराज आदि सनातन धर्म का यथार्थ मार्ग बताते है। सनातन धर्म में देवी देवताओं की पूजा का विधान है तथा मोक्ष प्राप्त करने की अन्य विधि बतायी जाती है,

सच्चाई यह है आदि सनातन धर्म के मोक्ष के अलावा किसी भी प्रकार का मोक्ष पूर्ण नहीं है। पूर्ण मोक्ष सिर्फ आदि सनातन धर्म की साधना से प्राप्त किया जा सकता है। आदि सनातन धर्म की साधना के मंत्र "ओम् तत् सत्" है जो शास्त्र प्रमाणित है जिसे पूर्ण सन्त/ तत्वदर्शी संत द्वारा प्रदान किया जाता है।

जिसको शास्त्रविधि के अनुसार साधना कर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करना है उस मोक्ष के इच्छुक व्यक्ति को सन्त रामपाल जी महाराज के यथार्थ मार्ग के अनुसार चलना पड़ेगा। अब हमने आदि सनातन धर्म को अपनाना पड़ेगा, जिसका आधार "श्रीमदभगवत गीता, चार वेद तथा सूक्ष्म वेद है।

अन्य किसी भी साधना से क्षणिक लाभ और अधूरा मोक्ष है। सच्चाई जानने के लिये प्रमाण सहित किताब 'ज्ञान गंगा' का अध्ययन जरूर करे।

प्रश्न:- सन्त रामपाल जी महाराज सभी धर्म गुरूओं की निन्दा करते हैं ?

उत्तर:- सन्त रामपाल जी महाराज ने किसी धर्मगुरू की निन्दा नहीं की अपितु जिज्ञासु अनुयायी जो वेद पुराण गीता व अन्य धार्मिक ग्रन्थों का निष्कर्ष निकालने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे और उन ग्रन्थों का निष्कर्ष निकालते-निकालते उलझ गये,

ऐसे ही जिज्ञासुओं ने प्रथम प्रश्न करके सन्त रामपाल जी महाराज से जानना चाहा। सन्त रामपाल जी महाराज ने सभी शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद प्रमाण सहित सभी यथार्थ बातें बतायी।

यथार्थ बात कहना कोई निन्दा नहीं है मानो या ना मानो।

सन्त रामपाल जी महाराज ने शाश्त्रों से निकाले तत्वज्ञान को किसी को मानने के लिए विवश नहीं किया है। सन्त रामपाल जी महाराज के उत्तर से संतुष्ट होने पर ही ऐसे विद्वान जिज्ञासु सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी बन गये।

प्रश्न:- अन्य धर्म गुरूओं की निन्दा करना क्या ठीक है ?

उत्तर:- जो आत्म कल्याण का इच्छुक है जिसे ज्ञान समझ में आ गया है उसे मर्यादा

बतायी जाती है। किसी धर्मगुरू की निन्दा करना हमारी संस्कृति मे नहीं है। जो जैसा बोयेगा वैसा काटेगा।यथार्थ बात कहना निन्दा नहीं होती है।

सच्चाई बताना निन्दा नहीं होती है,

जिस प्रकार सरकार असली और नकली नोटों को टीवी व समाचार-पत्रों के माध्यम से जनता को दिखाकर ठगने से बचाती है।

उसी प्रकार सन्त रामपाल जी महाराज किसी की बुराई नहीं करते अपितु सभी सन्तों के शास्त्रविरुद्ध ज्ञान और हमारे सर्वमान्य शास्त्रों का प्रमाणित ज्ञान जनता के सामने रख रहे है।

अब कोई नकली नोट छापने वाला अर्थात् शास्त्रविरुद्ध ज्ञान बताने वाला कहें कि सरकार हमारे नोटों की आलोचना करती है या बुराई करती है... तो वह कितना बुद्धिमान होगा आप सोच सकते हो।

सरकार ने किसी की बुराई या आलोचना नहीं की अपितु परोपकार किया है, जनता को ठगने से बचाया है। बस इतना सा काम सन्त रामपाल जी महाराज कर रहे है।

सभी सन्तों के शास्त्रविरुद्ध ज्ञान को जनता के सामने रख रहे है। जनता को शास्त्रविरुद्ध साधना से हटाकर शास्त्रानुकूल साधना पर प्रेरित कर रहे है। सन्त रामपाल जी महाराज के इस महान परोपकार के कार्य को कोई आलोचना कहें तो वह कितना बुद्धिमान होगा।

परोपकार के कार्य को निन्दा कहने वाला व्यक्ति उसी गैंग या समूह का सदस्य है जो नकली नोट छापता है अर्थात् जो गलत साधना बताता है वही यथार्थ बात को निन्दा कहकर परिभाषित करेगा।

"जैता मीठा बोलता, तैता सन्त ना हो
और खरी-खरी जो कहत है, सन्त कहावै सो"


मीठा बोलने वाला हितेषी नहीं होता...खरी-खरी सत्य कहने वाला ही जनता का सच्चा हितेषी होता है। सत् साहिब जी।

बन्दीछोड़ सदगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।।

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