Saturday, December 24, 2016

भगवान, इशवर को जानीऐ







कबीर :-
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर

गरीब :-
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार

दादू:-
जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार
दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार

कबीर :-
ना हमरे कोई मात-पिता, ना हमरे घर दासी
जुलाहा सुत आन कहाया, जगत करै मेरी हाँसी

कबीर :-
पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर

कबीर :-
सतयुग में सत्यसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा,
द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया

कबीर :-
अरबों तो ब्रह्मा गये, उन्नचास कोटि कन्हैया,
सात कोटि शम्भू गये, मोर एक पल नहीं पलैया

कबीर :-
नहीं बूढा नहीं बालक, नहीं कोई भाट भिखारी
कहै कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी

कबीर :-
पाँच तत्व का धड नहीं मेरा, जानू ज्ञान अपारा
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा

कबीर :-
हाड- चाम लहू नहीं मेरे, जाने सत्यनाम उपासी
तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी

कबीर :-
अधर द्वीप (सतलोक) भँवर गुफा, जहाँ निज वस्तु सारा
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन भी, धरता ध्यान हमारा

कबीर :-
जो बूझे सोई बावरा, पूछे उम्र हमारी
असंख्य युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी

कबीर :-
अवधू अविगत से चल आया, मेरा कोई मर्म भेद ना पाया

"" कबीर"" शब्द का अर्थ


सर्वश्रेष्ठ, महान, सबसे बडा, सर्वोत्तम

No comments:

Post a Comment